चले हैं लोग मैं रस्ता हुआ हूं
मुद्दत से यहीं ठहरा हुआ हूंज़माने ने मुझे जब चोट दी है
मैं जिंदा था नहीं जिंदा हुआ हूंमैं पहले से कभी ऐसा नहीं था
मैं तुमको देखकर प्यारा हुआ हूंमैं कागज सा न फट जाऊं
ए लोगो उठाओ ना मुझे भीगा हुआ हूंमेरी तस्वीर अपने साथ लेना
अभी हालात से सहमा हुआ हूंकभी आओ इधर मुझको समेटो
मैं तिनकों सा कहीं बिखरा हुआ हूंचलो अब पूछना तारों की बातें
अभी मैं आसमां सारा हुआ हूंमुसलसल बात तेरी याद आई गया
वो वक़्त मैं उलझा हुआ हूंबुरा कोई नहीं होता जन्म से
मुझे ही देख लो कैसा हुआ हूंज़माने ने मुझे जितना कुरेदा
मैं उतना और भी गहरा हुआ हूं~ सुरेश सांगवान (saru)
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ज़माने ने मुझे चोट दी है – दुःख व् गहराई भरी कविता - Hindi Poems
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June 05, 2021
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