उड़ा जाता है चांद, छोर मिलता नहीं।
खुशियों का चांद, अब खिलता नहीं।
चांद का रंग रूप, कुछ अलग ढ़ंग का।
अब चांदनी से चांद, कहीं मिलता नहीं।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
– Hindi Sms
खुशियों का चांद अब खिलता नहीं - Hindi Sms
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June 05, 2021
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उड़ा जाता है चांद, छोर मिलता नहीं।
खुशियों का चांद, अब खिलता नहीं।
चांद का रंग रूप, कुछ अलग ढ़ंग का।
अब चांदनी से चांद, कहीं मिलता नहीं।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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