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सुबह ने आँख न खोली दर्द भरी होली कविता - Holi Shayari

सुबह रंगीली शाम रंगीली
ऐसी आयी है ये होली
सब पर बरसे रंग कई
पर मेरी खाली थी झोली

दिन रंगीन, रंगीली रात
दिल में रह गयी दिल की बात
कैसे सह पाऊ मैं पगली
मिले जो मुझको कई आघात

जब भी आती देखी होली
रात अँधेरी मुझको बोली
सुबह के रंग में रंग दूंगी तुझको
पर सुबह ने आँख न खोली

होली आयी और चली गयी,
सब की दुनिया रंगी गयी
मैं मासूम लिए दिल अपना
जाने कितनी बार चली गयी

रंग में उमंग नहीं थी
खुशियो की कोई भांग नहीं थी
ऐसी थी तक़दीर मेरी की,
होली की कोई हुड़ंग नही थी

– Holi Shayari

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