जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था, हमसा कोई किसी जुर्म में आया भी न था, न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी, हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था।
– Sad Shayari
जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था, हमसा कोई किसी जुर्म में आया भी न था, न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी, हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था।
– Sad Shayari