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नज़रें चुरा रहा हूँ मैं - Hindi Poems

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

तेरे सामने दिल बदमाश बन जाता हैं बेवक्त,
इसे इंतज़ार की तस्सली देकर ही सुधार रहा हूँ मैं…

ये कैसी ख़ता तुझसे इश्क़ करने की,
इस ख़ता को खुद ही सबसे बता रहा हूँ मैं…

जिन्हें शक हैं हमारे रिश्ते को लेकर,
उन कमबख्तों का हर सवाल मिटा रहा हूँ मैं…

आसमां में देखा था मैंने कभी तुझे,
आज अपने संग जमीं पर उतार रहा हूँ मैं…

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

 

~ Monu yadav

 

– Hindi Poems

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