गांव के बाजारों में भी, खूब नज़ारे होते थे।
चाट पकौड़ी और बताशों के चटकारे होते थे।
नीम और बरगद की छाया में बैठा करते थे।
खुशियों के पल आपस में वारे न्यारे होते थे।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
– Hindi Sms
गांव का जीवन गांव के नज़ारे - Hindi Sms
0
June 05, 2021
Tags